भाई की गांड मारी मैंने! वह मेरे चाचा का बेटा है. हम साथ साथ रहते थे. एक दिन मैंने उसे ब्लू फिल्म दिखाई और उसकी गांड मारी. बाद में उसने भी मेरी गांड मारी.
दोस्तो, मेरा नाम मोहित यादव है. अभी मेरी उम्र 20 साल की है.
मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ और अपने स्नातक के दूसरे साल का छात्र हूँ.
मेरे चाचा के लड़के का नाम अमित है और उसकी उम्र मेरे बराबर है.
अमित अभी स्कूल में पढ़ रहा है.
जब मैं 12वीं क्लास में था, उसे समय से ही मैं अमित की गांड मारने को व्याकुल था और भाई की गांड मारने का सही मौका देख रहा था.
हालांकि हमारे घर के हिस्से अलग अलग हैं लेकिन संयुक्त परिवार है इसलिए हर वक्त घर में कोई न कोई रहता ही था और इसी वजह से सही मौका नहीं मिल रहा था.
अमित के घर वाले उसको बाहर आने ही नहीं देते थे.
उसकी मम्मी उसे पढ़ने के लिए बोल कर घर में ही रहने के लिए कहती रहती थीं.
जब अमित 12 वीं क्लास में आ गया तो उसे अपनी पढ़ाई के लिए कोचिंग आदि के लिए बाहर आना पड़ता था.
कोचिंग में आने जाने से उसे बाहर की हवा लगी और दोस्तों का साथ मिला तो वह कुछ न कुछ बहाने से घर से बाहर आने लगा था.
अब जब भी उसकी मम्मी पापा कहीं बाहर जाते तो वह भी बाहर आ जाता.
मैं उसे अकेला देख कर अपने पास बुला लेता और उसके साथ मस्ती भरी बातें करने लगता.
अब वह मेरे घर में आने लगा था.
घर वाले भी उसे मेरे घर आने से मना नहीं करते थे क्योंकि हम सब एक साथ ही रहते हैं.
जब भी वह मेरे घर में आता तो मैं उसकी गांड मारने की सोचता, पर मेरे घर में भी घर के सदस्य होते थे तो सही मौका नहीं मिल पा रहा था.
एक दिन मेरे घर वाले किसी की शादी में गए थे और अमित के घर वाले भी उसी शादी में गए थे.
मैं घर में अकेला था और अमित के घर में उसकी दादी थीं.
अमित को अपनी पढ़ाई करने की कह कर उसकी मम्मी साथ में नहीं ले गई थीं.
वह आज खुद को घर में अकेला होने के कारण बोर महसूस कर रहा था.
तभी वह मेरे घर आया.
वह बोला- भैया, मुझे घर पर बुरा लग रहा है, इसलिए आपके पास आ गया.
मैंने कहा- अच्छा किया, मुझे भी बुरा लग रहा है.
मैंने सोचा कि आज अच्छा मौका मिल गया है. अब इसकी गांड मार लूँगा.
पर मुझे डर भी था कि कहीं यह किसी को बता ना दे.
अमित- भैया चलो न कुछ खेलते हैं.
मैं- क्या खेलें यार, मेरा तो मूड और कुछ खेलने का बन रहा है.
अमित- क्या?
मैं- वह सब खेल कर बताऊंगा. अभी कुछ देर रुक … पहले हम दोनों बातें करते हैं.
अमित- क्या बातें करें भैया?
मैं- सेक्स के बारे में!
अमित- मतलब जो लड़का लड़की करते हैं … वह!
मैं- हां … तुझे यह सब कैसे पता है?
अमित- स्कूल में मेरे दोस्त इसके बारे में बातें किया करते हैं भैया!
में- ओके मतलब तू इसके बारे में जानता है!
अमित- पूरा नहीं जानता, बस आधा अधूरा ही सुना है.
मैं- चल इसके बारे में ही बातें करते हैं.
अमित- ओके.
मैंने कहा- चलो हम दोनों मोबाइल में सेक्स वीडियो देखते हैं कि कैसे क्या क्या करते हैं!
वह बोला- हां ठीक है भैया.
मैंने मोबाइल में पॉर्न मूवी चला दी.
वह बोला- अरे भैया, इसे बंद करो … मुझे शर्म आ रही है.
मैंने कहा- मुझसे कैसा शर्माना?
वह बोला- मैं अपने घर जा रहा हूँ. आप ही देखो.
मैंने कहा- चल वीडियो बंद कर देता हूँ.
वह चुप रहा.
मैंने कहा- अबे यार इसमें क्या शर्माना … हम दोनों ही तो हैं. तू मुझे अपना दोस्त समझा कर, भैया नहीं!
वह अब भी चुप था.
मैं बोला- चलो कुछ खेलते हैं.
अब उसने हां कर दिया.
वह बोला- क्या खेलेंगे भैया?
मैंने कहा- तू रुक, मैं मेनडोर बंद करके आता हूँ.
मैं मुख्य द्वार बंद करके आया और उससे बोला- आज हम दोनों डॉक्टर डॉक्टर खेलते हैं.
वह बोला- ठीक है.
मैंने कहा- मैं डॉक्टर बनूँगा.
वह बोला- नहीं मैं बनूँगा.
मैंने कहा- ओके हम दोनों बारी बारी से डॉक्टर बनेंगे.
मैंने कहा- पहले मैं डॉक्टर बनूँगा!
वह बोला- नहीं, पहले मैं ही बनूँगा.
मैंने कहा- तुझे पता नहीं कि कैसे इंजेक्शन वगैरह लगाते हैं. पहले मैं बन जाता हूँ, मुझे देख कर बाद में तू बन जाना.
वह मान गया.
मैंने कहा- चल मैं तुझे इंजेक्शन लगाता हूँ.
वह बोला- कहां है इंजेक्शन?
मैंने कहा- तू लेट तो जा, इंजेक्शन भी आ जाएगा.
वह लेट गया.
मैंने कहा- शर्माना नहीं और किसी को नहीं बताना. ये खेल सब लोग खेलते हैं.
उसने कहा- हां ठीक है, नहीं बताऊंगा.
वह लेट गया.
मैंने कहा- जैसे मैं कहता जाऊं … वैसे करते जाना.
वह बोला- ठीक है भैया.
मैंने उसके गाल पर हाथ फेर कर कहा- तुझे बुखार है, पूरा शरीर गर्म है … तुझे इंजेक्शन देना पड़ेगा.
वह बोला- हां ठीक है, लगा दो डॉक्टर साहब.
मैंने कहा- ओके मैंने इंजेक्शन दवा से भर लिया है और अब लगाने वाला हूँ. तुम अपनी आंखें बंद कर लो और जैसा मैं कहता हूँ, वैसा करते जाना.
वह बोला- ओके.
मैंने कहा- अपने पैंट का बटन खोल दे, तभी तो मैं इंजेक्शन लगा पाऊंगा.
उसने पैंट का बटन खोल दिया और जिप नीचे कर दी.
जैसे ही उसने अपनी जिप नीचे की, तो मुझे लगा कि कहीं यह पहले से ही तो गांड मरवाने के लिए रेडी नहीं है!
तब भी मुझे सावधानी रखनी जरूरी थी कि कहीं यह चिल्ला न दे.
चिल्लाता तो जरूर ही क्योंकि किसी भी बॉटम की गांड में लंड पेलो, पहले पहल तो वह भी आह आह ऊंह ऊंह करेगा.
मैंने अपने हाथ से उसके पैंट को जरा और नीचे खींच दिया.
उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं.
मैंने अपने पैंट को निकाल कर साइड में रख दिया.
मैं केवल चड्डी और बनियान में था.
मैंने अब अपनी चड्डी भी उतार दी.
वह बोला- भैया इंजेक्शन कब तक लगेगा?
मैंने कहा- तू अभी आंखें बंद रख. अभी इंजेक्शन भर रहा हूँ.
वह बोला- ठीक है.
मैंने उसकी चड्डी उतार दी.
मैंने कहा- तुम अपने शरीर को ढीला छोड़ दो, नहीं तो इंजेक्शन का दर्द ज्यादा होगा!
मैंने उसकी गांड में थूक लगा दिया.
वह बोला- ये क्या किया है?
मैंने कहा- जगह को नर्म करने की दवाई लगाई है.
फिर मैंने अपने लंड में भी थूक लगा दिया और उससे कहा- तुम अपने दोनों हाथों से अपने दोनों पौंद (चूतड़) को पकड़ कर फैलाओ.
उसने अपने हाथ से अपने दोनों चूतड़ों को पकड़ कर फैला लिया.
मैंने उसकी गांड के छेद पर अपना लंड रखा और एकदम जोर से झटका दे दिया.
वह रोने लगा और छटपटाने लगा.
मैंने उसे कसके पकड़ रखा था इसलिए वह खुद को मुझसे छुड़ा नहीं पाया.
लंड की मोटाई अधिक थी और उसकी गांड का छेद एकदम कमसिन था.
मेरे लंड पेलने से वह बेहोश हो गया था.
मैं समझ गया था कि मामला संगीन हो सकता है इसलिए कुछ सेकेंड के लिए मैंने अपना लंड उसकी गांड में ही रख कर खुद को रोक लिया.
पास में पानी की बोतल रखी थी तो उसे पानी के छींटे मारकर होश में लाने की कोशिश करने लगा.
उस वक्त मैंने उसकी गांड से अपना लंड नहीं निकाला था.
वह होश में आ गया और दर्द से रोता रहा.
मैंने अब देर नहीं की और कुछ ज्यादा सा थूक लेकर उसकी गांड में लगा दिया और धकापेल मचा दी.
वह जोर जोर से रो रहा था.
मैं जल्द ही अपने चरम पर आ गया.
इसी कारण से मैं अपने लंड को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा था.
उसकी गांड भी खुल गई थी और उसकी आहं उन्ह भी कुछ कम हो गई थी.
मैं 15 मिनट तक धकापेल करता रहा.
इसके बाद मैंने अपने लंड का पानी उसकी गांड में ही छोड़ दिया और अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाल लिया.
वह अभी भी सुबक रहा था.
कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया.
मैंने कहा- तुम बनोगे डॉक्टर?
वह बोला- नहीं, मैं तो अपने घर जा रहा हूँ.
वह घर चला गया.
उसके बाद वह दो दिन तक मेरे घर नहीं आया.
इसके बाद आने लगा.
मैंने उससे पूछा- उस दिन मज़ा आया था ना खेल में!
वह बोला- नहीं आया, दर्द होता है.
मैंने कहा- कब तक दर्द हुआ?
वह बोला- वैसे नहीं होता, लेकिन जब पॉटी जाता हूँ, तब होता है.
मैंने कहा- एक दो बार हुआ होगा. अब थोड़ी हो रहा होगा?
वह बोला- हां आज थोड़ा कम हुआ था.
मैंने कहा- वह पहली बार किया था ना इसलिए हुआ … आदत पड़ जाएगी फिर नहीं होगा. चलो आज फिर से डॉक्टर डॉक्टर खेलते हैं. अबकी बार तुम डॉक्टर बन जाना.
वह बोला- ठीक है.
अब हमारे घर वाले भी शादी से वापस आ चुके थे तो हमें छुप कर खेल खेलना था.
हम दोनों छत पर आ गए.
उधर वह मेरी गांड मारने लगा.
चूंकि मैं पहले भी मरवा चुका था तो दर्द कम हुआ और मैंने बिना हल्ला किए अपनी गांड मरवा ली.
वह बड़ा खुश हुआ और बातें करने लगा- भैया मेरा एक दोस्त मुझसे यही सब करने के लिए कहता है. मुझे बहुत दिनों से गांड मरवाने की लग रही थी. मैं अपनी गांड में मोटा पेन भी कर लेता हूँ.
मैं भी खुश हो गया कि घर में ही छेद मिल गया.
अब हम दोनों को जब भी टाइम मिलता है, हम दोनों उसी के बारे में बातें करते हैं और यदि सूना घर हुआ तो मैं अपनी गांड मरवा लेता हूँ.
एक दिन मैंने सोचा कि आज तो इसके साथ फिर से गांड चुदाई का खेल करना है. घर पर सब लोग हैं तो मैंने अपने छोटे भैया को खेत में ले जाकर उसकी गांड मारने की सोची.
मैंने घर वालों से कहा कि मैं और अमित खेत पर जा रहे हैं. उधर जानवर भी देखते रहेंगे.
पिता जी और चाचा जी ने सरसों बो रखी थी.
उन्होंने हामी भर दी.
मैं अमित को सरसों के खेत में ले गया और उससे कहा कि आज तुम अपनी पैंट उतारो.
पहले तो उसने मना किया.
मैंने कहा- खोल दे पैंट साले … वरना मैं सारी बातें घर वालों को बता दूंगा कि यह मेरे ऊपर चढ़ता है.
वह मान गया और उसने अपनी पैंट उतार दी. मैंने उसकी पैंट भी उतार दी.
मैंने झट से उसकी चड्डी नीचे की और अपनी चड्डी उतार कर मैंने अपना लंड उसकी गांड पर रख कर घिसना शुरू किया.
वह भी गांड मरवाने को मचल रहा था.
मैंने कहा- ढीली छोड़ दे बेटा.
उसने जैसे ही अपनी गांड ढीली छोड़ी. मैंने एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
वह ‘आह मर गया’ कह कर चिल्लाया और चुप हो गया.
पूरा लंड गांड में था और वह धीरे धीरे अपने चूतड़ों को हिलाने लगा था.
मैं समझ गया कि बंदे को गांड मरवाने में मजा आने लगा है.
मैंने अमित से पूछा- आज कैसा लगा?
वह बोला- भैया आज दर्द कम हो रहा है और अच्छा भी लग रहा है.
मैंने कहा- हां हम दोनों रोज करेंगे तो ज्यादा मजा आने लगेगा. तुझे जरा सा भी दर्द नहीं होगा.
यह कह कर मैंने भाई की गांड में जोर जोर से झटके देने शुरू कर दिए.
दस मिनट बाद मेरे लंड से पानी निकलने को हुआ और मैंने उसकी गांड से लंड निकाल लिया.
मैंने खेत में ही लंड का रस टपका दिया.
वह हंसने लगा.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वह बोला- भैया आपने खेत में लंड का बीज बो दिया है, अब किस चीज की फसल उगेगी?
मैं हंस दिया और मैंने कहा- लंड के बीज से तो बच्चे पैदा होते हैं.
हम दोनों हंसने लगे.
मैं उसके लंड को सहलाने लगा.
अब उसका लंड भी कड़क हो गया था.
मैंने अपने हाथ से उसकी मुठ मारकर उसका पानी निकाल दिया.
वह बोला- मज़ा आ गया भैया.
दोस्तो यह गे सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
यह मेरी सच्ची भाई की गांड मारी कहानी है.
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